भारत में मानसून की प्रक्रिया
1. शीत ऋतु में मौसम की क्रियाविधि – दिसम्बर से फरवरी
- भारत में उत्तरी भाग पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल में भूमध्य सागर में उत्पन्न चक्रवातों का पानी प.विक्षोभ के द्वारा आकर बारिश कराता है।
2. ग्रीष्म ऋतु में मौसम की क्रियाविधि – (मार्च-मई)
- सूर्य के उत्तरायण होने से सम्पूर्ण भारत के तापमान में वृद्धि होने लगती है।
- सूर्य के साथ-साथ ऊष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) भी ऊपर की ओर खिसकने लगता है, जिससे वहां निम्न दाब का क्षेत्र निर्मित होता है।
- मानसून पूर्व वर्षा – मार्च अप्रैल में तापमान वृद्धि के कारण स्थलीय शुष्क एवं गर्म पवने जब समुद्री आर्द्र पवनों से मिलती हैं तो कुछ जगहों पर प्रचंड तूफान के साथ वर्षा होती है। जिसे मानसून पूर्व वर्षा कहते हैं।
- इसे अलग-अलग स्थानों पर निम्न नामों से जाना जाता है।

नार्वेस्टर
- यह प.बंगाल, बिहार, झारखंड व उड़ीसा में होती है।
- यह चाय, जूट एवं चावल हेतु लाभदायक है।
काल वैशाखी
- प. बंगाल में वैशाख के महीने में भयंकर व विनाशकारी वर्षायुक्त पवने।
- इसका अर्थ वैशाख के महीने में आने वाली भयंकर तबाही है।
चेरीब्लॉसम
- यह कर्नाटक व केरल में होती है।
- कॉफी के फूलों को खिलने में सहायक होती है।
आम्र वर्षा
- पश्चिमी भारत मुख्यतः केरल व अरुणाचल प्रदेशों में होती है।
- आमों को जल्दी पकाने में सहायक होती है।
चाय वर्षा
- असम में चाय की खेती के लिए लाभदायक होती है।
बोर्डोचिल्ला
- असम में ही नार्वेस्टर का स्थानीय नाम बोर्डोचिल्ला है।
3. वर्षा ऋतु में मौसम की क्रिया विधि (जून-सितम्बर)
- मई-जून में ITCZ कर्क रेखा पर स्थित हो जाती है। जिस कारण उत्तर भारत में निम्न दाब का क्षेत्र बनने से जेट प्रवाह की दक्षिण शाखा उत्तर की ओर खिसक जाती है। जिससे प्रबल निम्न दाब का क्षेत्र बनता है।
- दक्षिणी गोलार्द्ध की व्यापारिक पवने विषुवत रेखा को पार कर दक्षिण-पश्चिम मानसूनी पवनों के रूप में भारतीय उपमहाद्वीप की ओर विक्षेपित हो जाती है। जिसके परिणाम स्वरुप वर्षा का आगमन होता है।
- मानसून का प्रस्फोट – दक्षिण-पश्चिम मानसून सर्वप्रथम भारत के पश्चिमी घाट पर टकराकर एकाएक बारिश कराती है। जिसे – मानसून का प्रस्फोट कहते हैं।
- मानसून विच्छेद/मानसून का टूटना – दक्षिण-पश्चिम मानसून काल में एक बार कुछ दिनों तक वर्षा होने के बाद कुछ दिनों या सप्ताह तक वर्षा का न होना मानसून विच्छेद कहलाता है।
4. शरद ऋतु मानसून की क्रियाविधि (अक्टूबर-दिसम्बर)
- सूर्य के दक्षिणायन होने से उत्तर भारत में उच्च दाब का क्षेत्र निर्मित हो जाता है।
- जिससे पवने उत्तर पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर चलने लगती हैं।
- लौटता हुआ मानसून – नवम्बर-दिसम्बर माह में तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में उत्तर-पूर्वी मानसून द्वारा वर्षा होती है जिसे इस मानसून का लौटना धारे-धीरे होता है। अतः इसे मानसून का निवर्तन भी कहते हैं।
- बादल का फटना/मेघ प्रस्फोट – ग्रीष्म काल में पर्वतीय भागो पर 2 तरफ से ऊपर की ओर चढ़ने वाली हवाओं की टकराहट पहाड़ के ऊपर होने से तीव्र आवाज के साथ मूसलाधार वर्षा होती है जिससे भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसे हिमाचल प्रदेश में पणगोला कहते हैं।

