मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्वत

 

1. विंध्याचल पर्वत –

  • यह एक अवशिष्ट पर्वत है।
  • यह पूर्व में भांडेर, कैमूर से पश्चिम में अरावली से मिलता है।
  • यह गंगा एवं नर्मदा बेसिन के मध्य जलविभाजक है।
  • यह विश्व की सबसे प्राचीन पहाड़ियों में से एक है।
  • रीवा पन्ना के पठार में (संग्रामपुर) दमोह में विंध्याचल की सबसे ऊँची चोटी गुडविल (सद्भावना शिखर या कालूमार चोटी) 752 मी. है।

(क) भाण्डेर श्रेणी –

  • विस्तार – छतरपुर, दमोह, पन्ना जिले में
  • बुंदेलखण्ड की सबसे ऊँची चोटी सिद्ध बाबा की चोटी (1172 मी.) यही पर है।

(ख) कैमूर श्रेणी –

  • विस्तार – छतरपुर, दमोह, पन्ना जिले में
  • यह सोन नदी घाटी के उत्तरी किनारे पर खड़ी दीवार के समान है।
  • बांधवगढ़ पहाड़ियां यहीं पर है।
  • यह यमुना तथा सोन के मध्य जलद्विभाजक का कार्य करती है।

2. सतपुड़ा श्रेणी –

  • राजपीपला, अखरानी, बड़वानी, बीजागढ़, असीरगढ़ की पहाड़ियां इसी का भाग है।
  • निमाड़ का मैदान :- असीरगढ़ पहाड़ी एवं नर्मदा के मध्य।
  • सबसे ऊँची चोटी :- धूपगढ़ (1350 मी.) महादेव पर्वत पर है।

(क) राजपीपला श्रेणी –

  • यह गुजरात तक विस्तृत है।
  • यह सतपुड़ा का पश्चिमी भाग है।
  • इसे नर्मदा और ताप्ती की सहायक नदियों ने काटा है।

(ख) मैकाल पर्वत श्रेणी – 

  • यह सतपुड़ा का पूर्वी भाग है।
  • इसकी पूर्वी सीमा अर्द्ध चन्द्रकार है।
  • इसकी सबसे ऊँची चोटी अमरकंटक की पहाड़ी (1048 मी.) है।
  • यह नर्मदा, सोन, जोहिला, रिहंद का उद्गम स्थल है।
  • विस्तार – छोटा नागपुर पठार (झारखण्ड) तक।

3. अरावली पर्वत –

  • मालवा के उत्तर पश्चिमी पठार क्षेत्र में स्थित इस पर्वत के ढाल काफी तीव्र व सिरे चपटे है।
  • इसकी सबसे ऊँची चोटी माउंट आबू के पास गुरु शिखर (1158 मीटर) है।
  • यह पृथ्वी का सबसे प्राचीन पर्वत है जो वर्तमान मे पर्वत तथा टीलों के रुप में विद्यमान है।
  • यह उत्तर दक्षिण दिशा में दिल्ली के पास से गुजरात में अहमदाबाद तक 800 किलोमीटर की लम्बाई तक फैला है।